17/12/2021

सूर्य की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा

                         सूर्य की  महादशा का फल 

 

सूर्य की महादशा  में सूर्य की अंतर्दशा

१.  सूर्य की महादशा  में सूर्य की अंतर्दशा में राजा से अधिक यश मिले धनागमन हो  धन का आगमन हो जव्वार हो और पिता से वियोग का भय हो सूर्य अच्छा हो तो अच्छा  फ लीजिये सूर्य दुर्बल हो तो अनिष्ट फल की प्राप्त होगी 


सूर्य की महादशा  में चंद्र  अंतर्दशा




२. सूर्य की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा का फल जातक अपने शत्रुओ का नाश करे अधिक आकृष्ट के कष्टों की। हो मित्रो की पूरी सहायता मिले धन का आगमन ही भवन का निर्माण हो यदि चन्द्रमा नीच का है तो जातक को छाय रोग हो जल से उत्पन होने वाले रोग हो अग्नि का भय हो। 


सूर्य की महादशा में मंगल  की अंतर्दशा



३. सूर्य की महादशा मंगल की अन्तर्दशा का फल जातक बीमार पड़े शत्रु से पीड़ा हो अपने परिवार से झगड़ा हो. प्रशाशन का भय हो चोट लगने का हो यदि सूर्य मंगल सही स्थित  तो फल अच्छा मिलेगा। 


सूर्य की महादशा  में राहु की अंतर्दशा




४. सूर्य की महादशा में राहु की अंतर का फल शत्रु का उदय हो। धन का नाश हो। दुश्मनी बडे जातक के सिर में पीड़ा हो नेत्र रोग हो मन सांसारिक भोग की और आकृष्ट हो। 

सूर्य की महादशा  में बृहस्पति की अंतर्दशा



५. सूर्य की महादशा में बृहस्पति का फल शत्रो का नाश हो नाना प्रकार से धन का आगमन हो पूजापाठ में मन लगातीनो को रहे गुरुओ और बंधुओ का सत्कार हो कण में पीड़ा हो औरखा गया है छै संबधित रोग हो। यह कष्ट तब होगा जब बर्हस्पति  मारक हो.


सूर्य की महादशा  में शनि  की अंतर्दशा


६. सूर्य की दशा में शनि की अन्तर्दशा का फल धन का नाश हो पुत्र से वियोग हो स्त्री को रोग हो किसी गुरु जन की मृत्यु हो (गुरु पिता चाचा आदि )  कफ रोग से पीड़ा हो सूर्य पित्त का स्वामी है और शनिफल  का इस लिएवात पीड़ा की  भी सम्भावनाहो सकती है। 


सूर्य की महादशा  में बुध  की अंतर्दशा

७. सूर्य की महादशा में बुध की अन्तर्दशा का फल कुष्ठ रोग फोड़े फुंसी चार्म रोगबीमार पड़े  आदि हो कमर में पेट में दर्द हो और वात कफ ें तीनो के विकार से शरीर में रोग हो बुध वात पित्त कफ का स्वामी है इस कारन तीनो दोषो से रोग का कारन बनता ह। 

सूर्य की महादशा  में केतु  की अंतर्दशा


८.  सूर्य की महादशा में केतु का फल किसी मित्र की हो या मित्रता छोड़ दे अपने आदमियों और परिवार विग्रह हो शत्रु से भय हो धन का नाश हो (चोरी या कोई अन्य प्रकार से ) किसी गुरुजन को बीमारी हो जातक के पैर तथा सिर में दर्द हो सूर्य और केतु पस्पर शत्रु है इस कारन दुष्ट कहा गया है। 

सूर्य की महादशा  में शुक्र  की अंतर्दशा

९. सूर्य की महादशा में शुक्र का फल सिर में पीड़ा पेट में रोग गुदा में पीड़ा हो. खेती बाड़ी के काम मकान धन और अन्न में कमी हो बच्चे बीमार हो और स्त्र। 

04/08/2021

शनि की महादशा में शनि के अन्तर्दशा का फल

                              


                     शनि की महादशा में शनि के अन्तर्दशा का फल 


१  खेती में वृद्धि हो,नौकर और भैसो में वृद्धि हो अर्थात जातक अधिक नौकर रखे और रोजगार में वृद्धि होवात रोग       हो किसी शूद्र जाति व्यक्ति से धन का लाभ हो कुछ अधिक उम्र की स्त्री प्राप्त हो आलस्य और पाप बड़े। 

               

                    शनि की महादशा में बुध  के अन्तर्दशा का फल 


२  सौभाग्य में वृद्धि हो राजा  सत्कार मिले ,अर्थात समाज के सम्मानित से सम्मान मिले। विजय प्राप्त हो।,                    मित्रो से सहयोग प्राप्त हो स्त्री की प्राप्ति हो और सुख मिले। किन्तु वात, पित्त, कफ इन तीनो में से  किसी                 एक या अधिक दोषो के कारण रोग हो ,या जातक के भाई ,बहन या पुत्र को बीमारी हो। 


                    शनि की महादशा में केतु के अन्तर्दशा का फल   


३  हवा और अग्नि से पीड़ा हो या जातक के शरीर में वायु या गर्मी से विकार हो शत्रुओ से संताप हो अपनी 

     स्त्री और  पुत्र से सदैव झगड़ा रहे, अशुभ बाते देखनी पड़े। और सर्पोसे भय हो।


                  शनि की महादशा में शुक्र  के अन्तर्दशा का फल      

४   स्त्री ,पुत्रो और मित्रो  सुख हो ,खेती और इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट  धन संग्रह हो समुद्र पार से जहाज

      द्रारा जो वस्तु  लाई ले जाती हो उनसे लाभ मिलता है इस अन्तर्दशा में जातक का यश फैलता है।  

                         शनि की महादशा में सूर्य  के अन्तर्दशा का फल 

५  जातक की मृत्यु या सदैव शत्रु का  रहे गुरुजनो रोग हो। जातक को स्वयं को उदार-विकार या नेत्र

     रोग हो धन और धान्य का नाश हो।


                शनि की महादशा में चंद्र के अन्तर्दशा का फल


६  जातक की स्त्री नष्ट हो या स्वयं की मृत्यु हो। मित्रो पर विपत्ति पड़े जल और वायु के कारण 

     अति भय हो और जातक रोग का बहुत भय हो।    


                शनि की महादशा में मंगल के अन्तर्दशा का फल


७   जातक की नोकरी  छूटे,या  पर आसीन है उस पद  हटाया जाय। आपने आदमियों से झगड़ा हो 

      अथवा रोग ज्वर,अग्नि शस्त्र और विष से भय हो शत्रु की वृद्धि हो,हर्निया से कष्ट हो या नेत्र 

      रोग हो। 


                शनि की महादशा में राहु के अन्तर्दशा का फल


८  जातक ख़राब रस्ते पर जावे प्राणो का संकट हो, प्रमेह गुल्म ज्वर ,चोट आदि से पीड़ा हो। शनि 

    और राहु दोनों क्रूर गृह है। इस कारण क्रूर-ग्रह की महादशा में क्रूर -ग्रह की अन्तर्दशा पीड़ा कारक

     होती है। 


               शनि की महादशा में गुरु  के अन्तर्दशा का फल 


९   यह अंतर्दशा शुभ होती है। देवताओ के पूजन और गुरु जानो में विशेष रूचि हो अपनी स्त्री पुत्र आदि

     के साथ जातक  सुख-पूर्वक आपने घर में रहे धन और धन्य की अधिक वृद्धि हो।  


  

    

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01/08/2021

शुक्र की महादशा में अन्तर्दशा का फल

                                                        



                               

                     



१ : शुक्र की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा का फल 

    वस्त्र आभूषण सवारी चन्दन आदि खुशबूदार पदार्थ की प्राप्ति हो,स्त्री भोग सुख और संपत्ति                                   मिले,राजा से  धन की प्राप्ति हो, जातक को सुख प्राप्त हो ,

२ : शुक्र की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा का फल

      नेत्र विकार हो,राजा से भय प्राप्त हो अर्थात  राजा की तरफ से कोई टंटा खड़ा हो गुरुजन ,कुटुंब के                         आदमी अथवा बंधुओ को पीड़ा हो इस अन्तर्दशा का फल उत्तम  नहीं है। 

३ : शुक्र की महादशा में चंद्र की अन्तर्दशा का फल

      नख (नाख़ून) सिर और दांतो में चोट लगे या पीड़ा हो ,वायु और पित्त की बीमारी हो धन का नाश हो,

          शारीरिक कष्ट हो (पेट से सम्बंधित )

४ : शुक्र की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा का फल

           रुधिरदोष तथा पित्त के कारण बीमारी हो ,सोना, तांबा और भूमि का संग्रह हो जिस कार्य में मनुष्य                           लगा  हो उसे छोड़ना पड़े,किसी युवती से अनुचित सम्बन्ध हो। 

५ : शुक्र की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का फल

      धन  की प्राप्ति हो, पुत्र की उत्त्पति आदि शुभ फल है जातक उत्तम वाणी  है उसके कुल के लोग उसका                 आदर करते है , और जातक आपने शत्रु पर विजयी प्राप्त करता है हो सकता है की जातक के शत्रु को जेल              जाना पड़े, किन्तु जातक स्वयं को भी कष्ट होता है। जातक को भी विष ,अग्नि और चोर  हो ,

६ : शुक्र की महादशा में बर्हस्पति की अन्तर्दशा का फल 

           नाना प्रकार के धर्म के  कार्य बन पड़े ,देवताओ का पूजन हो ,अपने पुत्र और स्त्री से समागम                                 रहे राज्य में नाना प्रकारके सुख मिले अर्थात उत्तम पद और अधिकार के कारण जातक को                                   सुख मिले। 

७ : शुक्र की महादशा में शनि की अन्तर्दशा का फल

     सरकार  से सेना के लोगो से और नागरिको से सम्मान प्राप्त हो, उत्तम स्त्री  प्राप्ति हो नाना                                     प्रकार के धनागम हो और सुख के अन्य उपकरणों की प्राप्ति हो 

८  : शुक्र की महादशा में बुध अन्तर्दशा का फल

      पुत्र सुख हो, संपत्ति का समागम हो ; यश, प्रभुता  सुख की प्राप्ति हो जातक के शत्रु का नाश                                   हो किन्तु जातक का स्वंम का वात ,पित्त कफ ,इन त्रिदोषों में से किसी एक या अधिक                                            दोषो से स्वाथ बिगड़े। 

९  : शुक्र की महादशा में केतु  की अन्तर्दशा का फल

    अग्नि से भय हो,शरीर में किसी अंग पीड़ा हो। संपत्ति नष्ट हो सुख की कमी रहे और वेश्याओ की                               संगति रहे, पुत्र से विरह हो।    

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     ऊपर जो दशा अंतरदशा का फल कहा गया है : वह जातक की परिस्थिति ,वह किस पद है। क्या  कार्य                  करता है। इन सब बातो का विचार करना चाहिए।  




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30/07/2021

केतु की महादशा में अन्तर्दशा का फल

                                          केतु  की महादशा का फल





      १- केतु की महादशा केतु की अंतर्दशा का फल 

       

 

शत्रुओ से कलह हो, मित्रो से विरोध हो, अशुभ बचन सुनने पड़े ,शरीर में बुखार तथा तपिश की         बीमारी हो  (शरीर के किसी भाग में जलन ) दुसरो के घर जाना  पड़े। 

२ - केतु की महादशा में  शुक्र  की अंतर्दशा का फल 

  शत्रुओ श्रेष्ठ बर्हमणों से कलह हो, अपनी स्त्री तथा कुल लोगो से  विरोध  हो जातक के घर में           कन्या का  जन्म  हो, जातक मान हानि हो या उसे नीचा  पड़े , तथा उसे और  कष्ट पहुंचे। 

 

३ - केतु की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा का फल

       

 

किसी गुरु जन का मरण हो, अपने  लोगो से कष्ट मिले,ज्वर से कष्ट हो,राजा या                  सरकर  कीओर  कलह उपस्थित हो, वात या कफ जनित रोग हो ,किन्तु विदेश लाभ हो,

 

४ - केतु की महादशा में चंद्र की अन्तर्दशा का फल

       

 

अचानक बहुत धन का लाभ हो और बहुत नुकशान हो,पुत्र से विरह हो ,घर में ऐसी प्रसूति               (बच्चा पैदाहोना) हो जिसके करण दुःख  उठाना पड़े ,नौकरो और कन्या संतित का लाभ हो| 

 

५ - केतु की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा का फल

       

 

अपने पुरखे लोगो से कलह हो,अपने बंधुओ का नाश हो,शर्प, चोर,और अग्नि से भय हो शत्रु से         पीड़ा हो,

 

६- केतु की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का फल   

       

 

शत्रुओ  कलह उपस्थि हो, राजा से अग्नि से और चोर से भय हो,शत्रु से पीड़ा हो, दुष्ट लोगो की         वाणी सुननी पड़े , और दुसरो हानि पहुंचने वाले कर्म जातक करे।  

 

७ - केतु की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा का फल

       

 

श्रेष्ठ पुत्र की उत्पति हो, देवताओ का पूजन हो ,धन की प्रप्ति अथवा भूमि से धन की प्रप्ति               

        हो  

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        सस्कृति में गुरुजन का अर्थ गुरु या आचार्य ही नहीं होता,  पिता, चाचा,जयेष्ठ भाई ,मामा              ताऊ मौसा,ससुर ,या गुरु सब गुरुजन के अंतर्गत आ जाते है माता ,दादी ,बाबा आदि को भी            गुरुजन मेही समझना चाहिए | 

        जगह जगह से भेट मिले राजा या सर्कार से सम्मान प्राप्त हो इस अन्तर्दशा का उत्तम फल             प्राप्त होगा |  

    

 ८ - केतु की महादशा में शनि  की अन्तर्दशा का फल

       

 

नौकरो सकी हानि हो,दुसरो से कष्ट मिले शत्रो से झगड़ा हो जकात का अंग भंग हो स्थान              (नौकरी या माकन)छूटे और धन की हानि हो इस अंतर्दशा का बहुत अनिष्ट फल है | 

 

९ - केतु की महादशा में बुद्ध  की अन्तर्दशा का फल 

     

 

उत्तम पुत्र की उत्पत्ति हो, अपने मालिक प्रसंसा प्राप्त हो भूमि और धन की प्राप्ति हो,किन्तु          किसी बड़े शत्रु  द्रारा जातक सताया जाये। पशु और खेती का नुकशान हो , अंतरदशा का                मिश्रित फल है | .     

     

        

       

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23/07/2021

बुध की महादशा में अन्तर्दशा का फल

                       बुध की महादशा में अन्तर्दशा का फल    


१ - बुध  की महा दशा में बुध की  अंतरदशा का फल

      
         जातक धर्म मार्ग पर चले विद्वानों से समागम  हो , जातक की निर्मल बुद्धी हो और बारहणो से धन की                 प्रप्ति हो विद्या के कारन उत्तम यश प्राप्त हो सदैव  सुख मिले।

२ - बुध की महादशा में केतु की  अंतरदशा फल
      
      दुःख शोक और कलह से मन व्याकुल रहे जातक का बदन कांपे  शत्रुओ से समागम हो कहे और सवारी                   नष्ट हो। 

३ - बुध की महादशा में शुक्र की  अंतरदशा फल  
      
         देवता ब्राह्मण और गुरुओ  का पूजन हो दान और धर्म में जातक लगा रहे वस्त्र और भूषणो  की प्रप्ति                   हो मित्रो से समागम हो | 

४ - बुध  की महादशा में सूर्य की अंतरदशा का फल 
      
      मूंगे सुर्णा घोड़े हाथी सहित माकन की प्राप्ति हो जातक को खाने पिने का सुख  रहे और राजा से सम्मान               प्राप्त हो | 

५ - बुध  की महादशा में चंद्र  की अंतरदशा का फल
     
 
         सिर  में पीड़ा  कस्ट में अधिक पीड़ा नेत्र विकार कोढ़, दादआदि  की बीमारी का भय होता है जातक के                    प्राणों  का संसय उपस्थित  है | 
    
      हमारे  विचारो से दोनों बुध और चंद्र में मारकत्व होने से ही ऐसा अनिष्ट होगा अन्थया नहीं

६ - बुध  की महादशा में मंगल की अंतरदशा का फल
      
         अग्नि से भय हो, नेत्र का रोग हो ,चोरी का भय हो और जातक सदैव दुखी रहे। जातक का स्थान हानि हो              अर्थात  उसका पद या माकन छूट जाये वात रोग से भी कष्ट होने की सम्भावना है | यह सब  फल बुध की               महादशा में जब मंगल की अंतर्दशा जाती है तब होते हैं | 

७ - बुध  की महादशा में राहु की अंतरदशा का फल     
      
          मस्तक  ,नेत्र तथा उदर में पीड़ा हो  अपना छय हो अर्थात रोग के कारन जातक का शरीर कमजोर होता                 चला जाये या जातक के धन का नाश हो अग्नि विष और जल से भय हो जातक की मन हानि हो या जिस                पद पर कायम हो हटाया जाय |

-  बुध  की महादशा में वृहस्पति की अंतरदशा का फल 
       

        शत्रु का नाश हो रोग से निवर्त्रि हो धार्मिक बातो में सिद्धि प्राप्त हो और राजा से सम्मान मिले तपस्या                   और धर्म की ओर विशेष अभिरुचि हो 

९-   बुध  की महादशा में  शनि की अंतरदशा का फल
       
 
          धर्म और अर्थ का नाश हो सब कार्यो में विफलता मिले वात और कफ के कारन रोग हौ |







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