राहु
राहु की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का फल
विष और जल के कारण रोग हो । जातक को सर्प का दशन हो । दूसरे आदमी की स्त्री से संयोग हो ।अपने किसी इष्टजन का वियोग हो । जातक कड़ी बोली बोले । और उसे दुष्टजनों के कारण रुष्ट हो
राहु की महादशा में बृहस्पति की अन्तर्दशा का फल
सुख की प्राप्ति हो, देवताओं, ब्राह्मणों का पूजन हो, शरीर में कोई न रहे और सुन्दर नेत्र वाली स्त्रियों से समागम हो । विद्वत्ता के विचार-विनिमय और धार्मिक शास्त्रार्थ में समय व्यतीत हो
राहु की महादशा में शनि की अन्तर्दशा का फल
अपनी स्त्री, पुत्रों और भाईयों से झगड़ा हो । जातक की पदच्युति हो और उसके नौकरों का नाश हो ।
शरीर में चोट लगे तथा बात और पित्त के कारण रोग हो ।
राहु की महादशा में बुध की अन्तर्दशा का फल
बुध की अन्तर्दशा में धन और पुत्र की प्राप्ति समागम हो, मन में प्रसन्नता हो जातक चातुर्य से कार्य करे । भूषण तथा कुश- धन और पुत्र की प्राप्ति हो, मित्रों से समागम हो, मनएक टीकाकार ने यह भी अर्थ किया है कि मन हो-पर अन्य शुभ में 'तुच्छता फलों का विचार करते हुए यह अर्थ नहीं जंचता ।लता प्राप्त हो संक्षेप में यह है कि राहु और बुध मित्र हैं और बुध से क्रिया कुशलता, चतुरता व्यापार आदि का विचार किया जाता है। इस कारण राहु की महादशा में बुध की अन्तर्दशा में बुध से सम्बन्धित कार्यों में शुभता और वृद्धि लाती है पर विपत्ति की हानि ।
राहु की महदशा में शुक्र की अन्तर्दशा का फल
स्त्री की प्राप्ति हो स्त्री सहवास का सुख हो। हाथी, घोड़े और ज़मीन की प्राप्ति हो या इनका उपभोग प्राप्त हो ।किन्तु अपने आदमियों से विरोध हो और जातक को वात और कफ के कारण रोग हो ।
राहु की महादशा में सूर्य के अन्तर का फल
शत्रु से पीड़ा हो, अनेक आपत्तियां आवें; विष और अग्नि से पीड़ा हो । शस्त्र से चोट लगे ।और जातक के नेत्रों को अति पीड़ा हो। जातक को राजा या सरकार महान् भय उपस्थित हो और उसकी स्त्री तथा पुत्र को भी कष्ट हो । राहु और सूर्य शत्रु हैं। इस कारण यह अन्तर्दशा इतना अशुभ प्रभाव दिखाती है।
राहु की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा का फल
राजा, अग्नि, चोर और अस्त्र से भय हो या तो जातक का शरीर नाश हो जाये या मानस रोग हो । नेत्रों को पीड़ा हो, हृदय रोग (Heart trouble) हो और जातक अपने पद से भ्रष्ट हो जाये वर्षात् स्थान हानि का भय हो ।