04/02/2023

मंगल की महादशा का फल



            
 मंगल की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा का फल 

गर्मी से उत्त्पन होने वाले रोग हो घाव होने या चोट लगने का भय हो भाईयो से वियोग हो जाति लोगो से भय हो अग्नि पीड़ा का भय हो | किन्तु जातक को खेत और मुकदमो से धन  प्राप्ति  हो | यदि मंगल योग कारक हो तो उसकी दशा अच्छी हो जाती है | मंगल बलवान होने से जातक के विरोधी उत्त्पन्न होए पर भी विजयी जातक की होती है किन्तु माँगा बिगड़ा हुवा है तो जातक को शत्रुओ से पीड़ा पहुँचती है | 



                  मंगल की महादशा में राहु का फल 

शास्त्र अग्नि चोर ,रिपु राजा इन सब से भय हो | विष के कारण बीमारी या कष्ट हो किसी गुरुजन या बंधू की हानि हो जातक के आँख ,कान और सिर में बीमारी हो | जातक की मृत्यु होये या उस पर महँ अप्पति आवे | 

                मंगल की महादशा में बृहस्पति का फल 


इस अन्तर्दशा शुभ फल मिलते है |  अशुभ फल तो इतना ही है की कान में पीड़ा और कफ के कारण शरीर में रोग हो बाकि सुब शुभ फल ही है | जातक के पुत्र और मित्र में वृद्धि हो | देवताओ की अर्चना हो ,सदैव अतिथि पूजा का अवसर मिले, पुण्य कामो में जातक लगा रहे और तीर्थ में यात्रा हो | 


                  मंगल की महादशा में शनि का फल

यह समय बहुत कष्ट कारक होता है |  जातक के पुत्र एवं गुरुजन और पुरखो पर एक के बाद एक बिप्पति आती है जातक स्वयं विपप्ति का शिकार होता है | शतु स्वयं जातक का धन हर लेते है | अग्नि और वायु से भय हो पित्त और वात के प्रकोप के कारण जातक को शारीरिक रोग हो जातक का धन शत्रु हर ले जातक को मन के भीतर ही भीतर दुःख पहुंचने वाली घटनाये घटित हो 


                   मंगल की महादशा में बुध का फल

राजा या सरकार से भय हो | किसी उक्त  जाती के बैरी के कारण बहुत कष्ट हो | शत्रु से भय हो और धन हानि हो | शत्रु से समागम हो  | असीमित नुकसान उठाना पड़े जातक को कहने का मतलब यह है की ख़राब फल की प्राप्ति होती है | 


            मंगल की महादशा में केतु का फल 

अकस्मात् वज्र से भय हो, अग्नि और शस्त्र से पीड़ा हो, अपने देश से जाना पड़ या धन नाश हो और या तो जातक के
 स्वयं के प्राण छूट जायें या उसकी स्त्री का नाश हो जाये


                 मंगल की महादशा में शुक्र  का फल

 युद्ध में पराजय, अपना स्वदेश छोड़ना पड़ और विदेश में जाकरचोर लोग धन चुरा कर ले जायें, बाँये नेत्र में कष्ट हो। नौकरों की हानि हो ।अर्थात् जातक को नौकरों को कष्ट हो या नौकरों की रहे।संख्या में कमी हो जाये ।


            मंगल की महादशा में सूर्य का फल 

मंगल की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा का फल : राजा से सम्मान प्राप्त हो ।युद्ध के कारण जातक के प्रभाव में वृद्धि; जातक के नौकरों में, घन में, धान्य में लक्ष्मी में और उसकी स्त्रियों में वृद्धि और विलास हो अर्थात् इन सब वस्तुओं का अधिकाधिक वैभव और विलास हो जातक अपने साहस से लक्ष्मी का उपार्जन करे ।


            मंगल की महादशा में चन्द्रमा फल 

नाना प्रकार के घनों का आगम हो पुत्र प्राप्ति हो, वस्त्र. शय्या, आभूषण, रत्न और सम्पत्ति मिले। 
शत्रुओं से जुदाई हो अर्थात् शत्रु पीड़ा न रहे लेकिन किसी गुरुजन को पीड़ा हो और जातक को स्वयं को 
भी गुल्म और पित्त के कारण कष्ट हो सकत है । 



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