बृहस्पति की फोटो
बृहस्पति की महादशा में बृहस्पत्ति की अन्तर्दशा का फल
सौभाग्य की वृद्धि हो, कान्ति बढ़े, सब ओर से मान-सम्मान मिले, प्राप्ति हो,
जातक के गुणों का उदय और राजदरबार में इज्जत हो । आचार्य और साधु-जनों से संयोग हो ।
मन की आकांक्षायें पुत्र पूर्ण हों ।
बृहस्पति की महादशा में शनि की अन्तर्दशा का फल
वेश्याओं की संगति हो, शराब पीना आदि दोषों की वृद्धि हो,
सांसा- रिक स्थिति में उन्नति हो, सुख प्राप्ति हो, किन्तु जातक के कुटुम्ब और पशुओं को पीड़ा हो।
धन बहुत अधिक खर्च हो । जातक के हृदय में सदैव भय बना रहे। आँखों में रोग हो और पुत्र को पीड़ा ।
बृहस्पति की महादशा में बुध की अन्तर्दशा का फल
इस सम्बन्ध में दो मत हैं । एक मत यह है कि बृहस्पति में बुध की अन्तर्दशा अशुभ फल दिखाती है।
स्त्रियों से संग हो, शराब पीने का घोर दुर्व्यसन हो और जातक जुआ खेले । वात, पित्त, कफ तीनों दोषों के
कारण जातक बीमार पड़े । दूसरा मत यह है कि बृहस्पति की महा- दशा में बुध की अन्तर्दशा केवल शुभ
फल देने वाली होती है । और जातक देवताओं और ब्राह्मणों का पूजन करता है ।
पुत्र, घन और सुख की प्राप्ति होती है ।
बृहस्पति की महादशा में केतु की अन्तर्दशा का फल
शस्त्र के व्रण होते हैं। नौकरों से विरोध बढ़ता है । चित्त में व्यया रहती है, जातक के स्त्री और पुत्रों को कष्ट हो,
गुरुजनों अथवा प्रियजनों से वियोग हो और जातक के स्वयं के प्राण जाने का भी कष्ट हो और इन सबसे सुल
हो। जातक देवताओं और ब्राह्मणों के अर्चन मैं तत्पर रहे ।
बृहस्पति की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा का फल
शत्रु पर विजय प्राप्त हो, राजा से मान मिले, यश वृद्धि हो, लाभ हो पालकी और घोड़े की सवारी मिले।
जातक के हृदय में पुरुषार्थ से और जातक किसी बड़े शहर में रहता हुआ समस्त सम्पत्ति का उपभोग करे ।
बृहस्पति की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा का फल
बहुत सी स्त्रियों की प्राप्ति हो, धन-लाभ हो, देवता और ब्राह्मणों की पूजा हो,
जातक का यश बढ़े, कृषि से लाभ हो, माल के खरीद- फरोख्त में भी नफा हो और शत्रुओं का नाश हो
बृहस्पति की महादशा में मंगल की अन्र्दशा का फल
इस समय जातक के कार्य से बन्धुओं को सन्तोष होता है और जातक को शत्रुओं के संग से लाभ होता है ।
उत्तम भूमि की प्राप्ति हो, जातक सत्कर्म करे और उसके प्रभाव में वृद्धि हो ।
जातक के किसी गुरुजन को चोट लगे या उसके स्वयं के नेत्रों में कष्ट हो ।
बृहस्पति की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का फल
बन्धुओं को संताप हो या बन्धुओं से संताप हो । मस्तिष्क में घोर दुश्चिन्तायें और पथायें रहें।
बीमारी हो, चोर से भय हो । किसी गुरुजन को बीमारी हो या जातक को स्वयं को उदर विकार हो ।
राजा से पीड़ा प्राप्त हो। शत्रुओं से कष्ट वृद्धि हो, धन का नाश हो । बृहस्पति के गुरु हैं । राहु देवताओं का शत्रु है,
इसलिये बृहस्पति में राहु का अशुभ फल होना स्वाभविक है ।
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